Inside Annu: भाजपा पर बहुत पहले ही दिल आ चुका था अन्नू का, महापौर चुनाव के बाद से ही लगातार तलाशा जा रहा था अवसर, विधानसभा चुनाव के समय वरिष्ठ कांग्रेसियों के कहने पर रुक गए थे - khabarupdateindia

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Inside Annu: भाजपा पर बहुत पहले ही दिल आ चुका था अन्नू का, महापौर चुनाव के बाद से ही लगातार तलाशा जा रहा था अवसर, विधानसभा चुनाव के समय वरिष्ठ कांग्रेसियों के कहने पर रुक गए थे



Rafique Khan
जबलपुर नगर निगम के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के पाला बदलने यानी कि भाजपा का दामन थामने की राजनीतिक घटना आमतौर पर लोगों को बहुत ही आश्चर्यचकित कर रही है लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ जन इस पूरे मामले की हकीकत बहुत पहले से जानते चले आ रहे हैं। जगत बहादुर सिंह अन्नू बहुत पहले ही भाजपा पर फिदा हो चुके थे। एक तरह से उनका दिल कमल पर आ चुका था। महापौर चुनाव के कुछ दिन बाद ही उन्होंने अपने वरिष्ठ जनों को भी इस बात से समय-समय पर तथा कभी इशारों में तो कभी सीधे तौर पर अवगत कराया था। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने यह बात दोहराई थी लेकिन उन्हें वरिष्ठ कांग्रेसियों में रोक लिया था। यह अलग बात है कि कांग्रेसियों ने तात्कालिक रूप से अन्नू को रोक लिया और नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पर भी अन्नू को ही आसीन रखा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अन्नू के दिलों दिमाग से भाजपा का प्रेम उतारने में पूरी तरह नाकाम रहे। विधानसभा चुनाव के परिणाम जब सामने आए तो कांग्रेस का एक तरह से सूपड़ा ही साफ हो गया तो अन्नू अपने आप को रोक नहीं पा रहे थे और अंदर ही अंदर वे बहुत विचलित हो रहे थे। बुधवार को उन्होंने भोपाल का रुख किया और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सभी को चौंका दिया।

राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, जबलपुर के लंबे समय सांसद रहे और वर्तमान में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए विधायक तथा मध्य प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह, कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत बड़ी संख्या में उपस्थित भाजपा के नेताओं के समक्ष भाजपा को अपनाने और भगवा रंग का गमछा गले में डलवाने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि वे जबलपुर के विकास को लेकर बहुत चिंतित थे। अन्नू ने यह भी कहा कि वे चाहते थे कि ट्रिपल इंजन सरकार के साथी बने और यह संभव नहीं हो पा रहा था। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार के साथ भी चाहते थे कि जबलपुर नगर में भी भाजपा की ही नगर सत्ता हो। यही नहीं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का साथ न मिलने से भी उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शीर्ष नेतृत्व अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए रोक रहा था। मीडिया से चर्चा के दौरान सीधा आशय था कि उन्हें कांग्रेस की कोई भी रीति नीति रास नहीं आ रही थी। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के साथ ही भाजपा के पूरी तरह साथ हो चुके थे और अब घोषित तौर पर हो चुके हैं।

बने रहेंगे महापौर, MIC होगी अब भाजपा की

जानकारों का कहना है कि स्थानीय निकाय में विधानसभा और लोकसभा से हटकर महापौर दल बदल के कानून में नहीं आते हैं। यानी की कांग्रेस के सिंबाल और समर्थन से जीते महापौर अब भाजपा के होने के बावजूद अपने पद पर बने रहेंगे। महापौर के लिए ना पद रिक्त होगा और ना ही उन्हें किसी चुनाव का सामना करना पड़ेगा। एमआईसी के कुछ सदस्यों ने इस्तीफा देकर खुद को महापौर परिषद से अलग कर लिया है तो बाकी पूरी परिषद महापौर भंग कर देंगे। नए सिरे से अब भाजपा के शीर्षस्थ जिन नामो को चयनित करेंगे वे महापौर परिषद का हिस्सा हो जाएंगे।