Rafique Khan
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित पनागर विधानसभा क्षेत्र से हाल ही में निर्वाचित हुए विधायक सुशील तिवारी इंदू तथा अन्य के खिलाफ जांच कर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश हाईकोर्ट ने पुलिस को दिए हैं। दरअसल यह मामला किसी और ने नहीं बल्कि उनके सगे भतीजे ने हाई कोर्ट तक पहुंचाया है। भतीजे का आरोप है कि एक चेक में फर्जी दस्तखत के जरिए आहरित की गई राशि और इस पूरे कारनामे में उनके चाचा विधायक इंदु तिवारी का भी हाथ है।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों की रकम निकालने के मामले में हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक सुशील तिवारी और उनके सहयोगी के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने 7 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने भी निर्देश दिए हैं। धोखाधड़ी और फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए निकालने के आरोप में हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक सुशील तिवारी और उनके सहयोगी किशोर रावत के खिलाफ जांचकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दरअसल जबलपुर के दमोहनाका इलाके में रहने वाले सगे भतीजे रीतेश तिवारी पिता एडवोकेट राजेंद्र तिवारी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पनागर विधायक सुशील तिवारी और उनके साथी किशोर रावत ने मिलकर चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर ली। याचिकाकर्ता का कहना है कि, इस मामले में उन्होंने पहले Gohalpur थाने में शिकायत की लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाई। वहां भी कोई कार्रवाई हुई जिसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली।
पुलिस 8 साल से मामला दबाकर बैठी थी
याचिकाकर्ता के वकील सौरभ शर्मा ने बताया कि उनके पेटीश्नर रितेश तिवारी ने एक याचिका लगाई है। जिसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ता रितेश तिवारी और किशोर रावत दोनों ट्रांसपोर्ट का कारोबार करते थे। इसी के तहत एक कार के सौदे के बदले में साल 2011 में 3 लाख 65 हज़ार रूपए का एक चेक जारी किया गया था, लेकिन उस चेक को किशोर रावत ने दबाकर रख लिया था और बाद में उसके फर्जी हस्ताक्षर कर रकम भी निकाल ली थी। जिसकी जानकारी लगने पर रीतेश तिवारी ने साल 2015 में स्थानीय गोहलपुर थाने में एफआईआर की, जांच में पाया गया कि बाई ऑर्डर चेक पर किशोर रावत ने मिलकर रीतेश तिवारी के फर्जी हस्ताक्षर कर रकम विधायक के खाते में ट्रांसफर कर दी है उसके बावजूद पुलिस 8 साल से मामला दबाकर बैठी थी।