Rafique Khan
विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मध्य प्रदेश में दोनों ही पार्टियों के भीतर जमकर उठा पटक चल रही है। कांग्रेस खेमे के अंदर जहां मात्र 66 सीटों पर सिमटने के बाद निराशा के बीच सन्नाटा सा छा गया है। चर्चा तो यहां तक है कि मंगलवार को राजधानी भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ सभी प्रत्याशियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। चुनाव में करारी हार पर मंथन के बाद वे इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत और प्रदेश में 163 सीटों पर परचम लहराने के बाद कार्यकर्ता कम लेकिन सीएम की रेस में शामिल नेता अधिक उत्साहित है। प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर गोपाल भार्गव तक सक्रिय हैं और सीएम की कुर्सी हथियाना के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालाकि शिवराज सिंह चौहान अभी भी कहीं से कमजोर नहीं है और इस पूरी जीत का श्रेय भले ही सार्वजनिक तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम किया जा रहा हो पर अंदरुनी चर्चाओं में शिवराज का नाम ही पहले नंबर पर आ रहा है। लगातार पांचवीं बार अगर शिवराज सीएम बन जाते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में भी बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। भोपाल में मंगलवार को कांग्रेस नेताओं की बैठक हो रही है। सूत्रों के मुताबिक बैठक के बाद कमलनाथ राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने दिल्ली जाने वाले हैं।मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से भाजपा की 163 सीटों पर हुई जीत और कांग्रेस की 66 सीटों पर मिली जीत के बाद से ही कांग्रेस खेमे में निराशा का माहौल है। पार्टी के भीतर ही भीतर कमलनाथ से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने का दबाव है। माना जा रहा है कि कमलनाथ से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेतृत्व सीट बंटवारे के दौरान इंडिया गठबंधन के कुछ नेताओं के खिलाफ टिप्पणी करने से भी खफा है। बल्कि पार्टी नेताओं से मुलाकात नहीं करने और सोमवार को सीएम शिवराज सिंह से मुलाकात से भी नाराजगी है।
भाजपा मुख्यालय में चल रही बैठक
मध्य प्रदेश में अपने विकास कार्यों के दम पर शिवराज सिंह चौहान पिछले 18 साल से सत्ता सुख भोग रहे हैं। इसके अलावा उनकी साफ सुथरी छवि के साथ ही उनके पिछड़े समाज से आना उनकी मजबूती को दिखाता है। पार्टी भी राज्य में पिछड़े समाज से ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में बैठक चल रही है।
बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में भी बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। भोपाल में मंगलवार को कांग्रेस नेताओं की बैठक हो रही है। सूत्रों के मुताबिक बैठक के बाद कमलनाथ राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने दिल्ली जाने वाले हैं।मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से भाजपा की 163 सीटों पर हुई जीत और कांग्रेस की 66 सीटों पर मिली जीत के बाद से ही कांग्रेस खेमे में निराशा का माहौल है। पार्टी के भीतर ही भीतर कमलनाथ से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने का दबाव है। माना जा रहा है कि कमलनाथ से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेतृत्व सीट बंटवारे के दौरान इंडिया गठबंधन के कुछ नेताओं के खिलाफ टिप्पणी करने से भी खफा है। बल्कि पार्टी नेताओं से मुलाकात नहीं करने और सोमवार को सीएम शिवराज सिंह से मुलाकात से भी नाराजगी है।
भाजपा मुख्यालय में चल रही बैठक
मध्य प्रदेश में अपने विकास कार्यों के दम पर शिवराज सिंह चौहान पिछले 18 साल से सत्ता सुख भोग रहे हैं। इसके अलावा उनकी साफ सुथरी छवि के साथ ही उनके पिछड़े समाज से आना उनकी मजबूती को दिखाता है। पार्टी भी राज्य में पिछड़े समाज से ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में बैठक चल रही है।