Rafique Khan
कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और अब भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार हो चुके केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अरबो रुपए की जमीन बचाने के लिए कोर्ट पहुंचे तो उनकी अपील डिफॉल्ट में उलझ गई। इस डिफॉल्ट को क्लियर करने के लिए सिंधिया परिवार में 8 दिन की मोहलत मांगी है। दरअसल यह मामला चेतकपुरी के सामने वाली जमीन का है और इस मामले में सिंधिया परिवार को पूर्व में कोर्ट से शिकस्त मिल चुकी है। कोर्ट से झटका खाने के बाद सिंधिया पुनः अपील के जरिए जमीन हासिल करने के लिए कोर्ट पहुंचे हैं।
जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व माधवी राजे सिंधिया ने चेतकपुरी के सामने स्थित अरबों की जमीन बचाने के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की है, लेकिन 120 रुपए का बार स्टाम्प नहीं होने से याचिका डिफॉल्ट में चली गई। इस डिफॉल्ट को खत्म करने के लिए 120 रुपए का बार स्टाम्प जमा करना है। इसे जमा करने के लिए प्रिंसिपल रजिस्ट्रार से 8 दिन की मोहलत मांगी है। बार स्टाम्प जमा होने के बाद द्वितीय अपील सुनवाई में आएगी। ललितपुर मौजे की सर्वे क्रमांक 1211/1, 1211/2, 1211/3, की 6 बीघा 4 बिस्वा भूमि (चेतकपुरी के सामने स्थित है जमीन) यशवंत राणे के मालिकाना हक की थी। इस जमीन पर उनके पिता खेती करते थे। जमीन उनके पिता के नाम दर्ज थी, लेकिन इस जमीन के खसरा के खाना नंबर 12 में माधवराव सिंधिया का नाम दर्ज कर दिया गया। सिंधिया का नाम दर्ज करने से पहले न यशवंत राणे को नोटिस दिया गया और न सूचना दी।
एक हिस्सा नारायण बिल्डर को बेच दिया
कहा जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया व माधवी राजे ने जमीन का एक हिस्सा नारायण बिल्डर को बेच दिया। इसके बाद यशवंत राणे ने जिला कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया। कोर्ट ने यह कहते हुए जमीन यशवंत राणे के हक की मानी कि सिंधिया को जमीन बेचने का हक नहीं था, लेकिन उन्होंने जमीन बेच दी। सिंधिया इस दावे में एक पक्षीय हो गए थे। जब कोर्ट का आदेश राणे के पक्ष में आ गया, तो जिला कोर्ट के फैसले को सिंधिया व नारायण बिल्डर ने चुनौती दी है। नारायण बिल्डर की याचिका पर सुनवाई हो चुकी है, जिसमें कोर्ट ने रिकॉर्ड तलब किया है, सिंधिया की याचिका पर सुनवाई होनी है।नारायण बिल्डर ने जमीन खरीदने के बाद बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है। इस जमीन फ्लैट तैयार कर विक्रय भी किए जा चुके हैं। साथ ही नया भवन तैयार किया जा रहा है।