Rafique Khan
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार की शाम 7:50 से लेकर 8:35 के बीच निकाल लिया गया। पहला मजदूर शाम 7:50 बजे तथा आखरी मजदूर 8:35 पर टनल से बाहर आ सका। जिस समय यह मजदूर रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए बाहर आ रहे थे, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था और उनसे मिलने पहुंचे परिजनों व रिश्तेदारों में भी एक सुखद इतमिनान चेहरों पर साफ तौर पर झलक रहा था। इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा केंद्रीय मंत्री वीके सिंह मौजूद थे।
ऐसा बताया जा रहा है कि रेट स्निपर वाली कंपनी नवयुग के मैनुअल ड्रिलर नसीम अहमद टनल के आखिरी अवरोध पत्थर को हटाने में कामयाब हुए तो फंसे हुए 41 मजदूरों ने जयकारे लगा दिए। बताया जाता है कि लगातार 17 दिन तक मजदूरों ने टनल के भीतर रहकर सांसें ली, यह सब उनके लिए बहुत बड़ी तकलीफ वाला क्षण था। हालांकि मंगलवार का दिन न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि समूचे भारत के लिए ऐतिहासिक हो गया। यूं तो सैकड़ो लोगों की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में काम करती रही लेकिन टनल के भीतर पाइप से घुसकर जाने वाले जिन दो लोगों ने साहस जुटाया, उनका नाम वकील खान और मुन्ना कुरैशी है। सरकारी एजेंसियों और सेना के बीच वकील और मुन्ना किसी हीरो से कम नजर नहीं आ रहे थे।उत्तरकाशी टनल धंसने की घटना के 17 वें दिन मंगलवार को रेस्क्यू टीम को आखिरकार कामयाबी मिल ही गई। गत 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर लाने का काम लगातार युद्ध स्तर पर चलता रहा लेकिन कोई ना कोई विध्न आते रहे। मंगलवार का दिन और यह क्षण खुशियों से भरा हुआ है। कुछ ही घंटे बाद सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। रेस्क्यू टीम को सुपरवाइज कर रहे विभिन्न विभागों के अफसर भी लगातार ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं तथा अलर्ट मोड पर हैं।
12 मीटर की मैन्यूअल ड्रिलिंग
कहा जाता है कि इससे पहले सिलक्यारा साइड से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग में लगे रैट माइनर्स ने हादसे के 17वें दिन खुदाई पूरी कर पाइप से बाहर आ गए। उन्होंने करीब 12 मीटर की मैन्यूअल ड्रिलिंग की। 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 12 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा था। इसके बाद सेना और रैट माइनर्स को बाकी के ड्रिलिंग के लिए बुलाया गया था। आज सुबह 11 बजे मजदूरों के परिजनों के चेहरे पर तब खुशी दिखी, जब अफसरों ने उनसे कहा कि उनके कपड़े और बैग तैयार रखिए। जल्द ही अच्छी खबर आने वाली है।
कैसे काम किया रैट माइनर्स ने
बताया जाता है कि रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। मतलब से ही साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है और हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है। रैट होल माइनिंग नाम की प्रकिया का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में खूब होता रहा है। उत्तरकाशी टनल में ये रैट माइनर्स 800MM के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की। ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे। ट्राली से एक बार में तकरीबन 2.5 क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे। पाइप के अंदर इन सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद रहता था।
रेस्क्यू की जानकारी ली PM नरेंद्र मोदी ने
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी को फोन कर रेस्क्यू ऑपरेशन की अपडेट ली है। उन्होंने कहा कि अंदर फंसे श्रमिकों की सुरक्षा के साथ-साथ बाहर राहत कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाए।
ऐसा बताया जा रहा है कि रेट स्निपर वाली कंपनी नवयुग के मैनुअल ड्रिलर नसीम अहमद टनल के आखिरी अवरोध पत्थर को हटाने में कामयाब हुए तो फंसे हुए 41 मजदूरों ने जयकारे लगा दिए। बताया जाता है कि लगातार 17 दिन तक मजदूरों ने टनल के भीतर रहकर सांसें ली, यह सब उनके लिए बहुत बड़ी तकलीफ वाला क्षण था। हालांकि मंगलवार का दिन न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि समूचे भारत के लिए ऐतिहासिक हो गया। यूं तो सैकड़ो लोगों की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में काम करती रही लेकिन टनल के भीतर पाइप से घुसकर जाने वाले जिन दो लोगों ने साहस जुटाया, उनका नाम वकील खान और मुन्ना कुरैशी है। सरकारी एजेंसियों और सेना के बीच वकील और मुन्ना किसी हीरो से कम नजर नहीं आ रहे थे।उत्तरकाशी टनल धंसने की घटना के 17 वें दिन मंगलवार को रेस्क्यू टीम को आखिरकार कामयाबी मिल ही गई। गत 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर लाने का काम लगातार युद्ध स्तर पर चलता रहा लेकिन कोई ना कोई विध्न आते रहे। मंगलवार का दिन और यह क्षण खुशियों से भरा हुआ है। कुछ ही घंटे बाद सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। रेस्क्यू टीम को सुपरवाइज कर रहे विभिन्न विभागों के अफसर भी लगातार ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं तथा अलर्ट मोड पर हैं।
12 मीटर की मैन्यूअल ड्रिलिंग
कहा जाता है कि इससे पहले सिलक्यारा साइड से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग में लगे रैट माइनर्स ने हादसे के 17वें दिन खुदाई पूरी कर पाइप से बाहर आ गए। उन्होंने करीब 12 मीटर की मैन्यूअल ड्रिलिंग की। 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 12 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा था। इसके बाद सेना और रैट माइनर्स को बाकी के ड्रिलिंग के लिए बुलाया गया था। आज सुबह 11 बजे मजदूरों के परिजनों के चेहरे पर तब खुशी दिखी, जब अफसरों ने उनसे कहा कि उनके कपड़े और बैग तैयार रखिए। जल्द ही अच्छी खबर आने वाली है।
कैसे काम किया रैट माइनर्स ने
बताया जाता है कि रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। मतलब से ही साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है और हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है। रैट होल माइनिंग नाम की प्रकिया का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में खूब होता रहा है। उत्तरकाशी टनल में ये रैट माइनर्स 800MM के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की। ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे। ट्राली से एक बार में तकरीबन 2.5 क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे। पाइप के अंदर इन सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद रहता था।
रेस्क्यू की जानकारी ली PM नरेंद्र मोदी ने
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी को फोन कर रेस्क्यू ऑपरेशन की अपडेट ली है। उन्होंने कहा कि अंदर फंसे श्रमिकों की सुरक्षा के साथ-साथ बाहर राहत कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाए।