Rafique Khan
उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में फंसे हुए 41 मजदूरों को 14 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी भी उन्हें इंतजार के बीच उम्मीद के सहारे गुजारने होंगे। दरअसल अब तक जितनी भी तकनीक को अपनाया गया है, वह मंजिल तक नहीं पहुंच पाई है। तरह-तरह की मशीनो से खुदाई के दौरान बाधाओं का आना लगातार जारी रहा। अब करीब 10 मीटर की खुदाई और की जाना है, जिसके लिए हाथों से खुदाई की जाएगी तथा वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए टनल के रास्तों को सुगम बनाया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि ऑगर मशीन से खुदाई हो रही थी, और पाइपलाइन को आगे बढ़ाया जा रहा था, उसका शाफ्ट टूट गया है। शाफ्ट को जब बाहर निकल रहे थे तो 15 मीटर का एक हिस्सा बाहर आ गया है, वहीं करीब 32 मीटर का हिस्सा अंदर फंस गया है।अंदर फंसे 32 मीटर के टूटे शाफ्ट को बाहर निकालना जरूरी है, लेकिन इसमें चुनौती ये है कि टूटा शाफ्ट निकालने से पाइप डैमेज हो सकता है। अगर पूरा डैमेज हुआ तो पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। अभी मजूदर करीब 10 मीटर दूर फंसे हैं। उन्हें बाहर निकालने के लिए मैनुअल ड्रिलिंग बहुत ही मुश्किल टास्क होगा। 800 मिमी के संकरे से पाइप में एक बार में एक ही वर्कर अंदर जा सकता है। उसमें कटिंग करना भी बेहद ही मुश्किल होगा।
कोई न कोई बाधा आ रही
कहा जाता है कि अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग कर रहे थे, तो हर 2-3 मीटर पर कोई न कोई बाधा आ रही थी। कभी लोहे के पाइप तो कभी पत्थर फंस रहे थे। उन्हें हटाने के बाद हर बार जब ऑगर मशीन को 50 मीटर पीछे तक लाना पड़ रहा था और उसकी मरम्मत करनी पड़ रही थी। इसमें 5-7 घंटे का समय लगता था। इसलिए ऑपरेशन में जरूरत से ज्यादा समय लग रहा है। टीम ने ये तय किया है कि अब पाइपलाइन को आगे डालने का काम मजदूरों से कराया जाएगा। अगर कोई बाधा आती भी है तो उसे वहीं मैनुअली सुधार लिया जाएगा और बिना कीमती समय खोए पाइपलाइन को आगे बढ़ाया जाएगा।