Rafique Khan
मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी में एक नाबालिक बच्ची के साथ गैंगरेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है1 चलती कार में नाबालिक बच्ची को रईसजादों ने उसे समय अपनी हवस का शिकार बनाया, जब वह बिरसा मुंडा के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए घर से निकली थी1 लिफ्ट देने के बहाने पीड़िता को कार में बिठाया और जंगल की और ले जाकर इस घिनौनी, शर्मनाक वारदात को अंजाम दिया गया1 घटना से जहां डिंडोरी और मध्य प्रदेश तो लज्जित हुआ ही वही एक और शर्मनाक पक्ष यह सामने आया कि पीड़िता को इस वारदात की FIR करने के लिए अपने परिजनों के साथ चार दिन तक भटकना पड़ा1 इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस इस तरह की घटनाओं की प्रति कितनी संवेदनशील है1
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि एक नाबालिक बच्ची डिंडोरी जिले के बजाग इलाके में आयोजित बिरसा मुंडा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 15 नवंबर को निकली1 इस कार्यक्रम में शामिल होने के पूर्व ही उस पर इन मनचले तथा रईसजादों की नजर पड़ गई और वह कार में लिफ्ट देने के नाम पर उसे अपने साथ ले गए1 गाँव के ही 4 युवक नाबालिक को बैठाकर कार्यक्रम स्थल न जाकर जंगल तरफ निकल गए और कार को लॉक कर तेज आवाज में गाने बजाते हुए नाबालिक बच्ची से दुष्कर्म किया। घटना के बाद जब पीड़ित बालिका अपने परिजनों के पास पहुंची और उसने आपबीती सुनाई तत्पश्चात परिजन उसे लेकर थाने पहुंचे लेकिन पुलिस थाने और पुलिस अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काटने में चार दिन बीत गए1 मामला जब जागरूक लोगों के बीच में पहुंचा और पुलिस पर सवालिया निशान लगने लगे, तब कार का बिना नंबर डालें FIR दर्ज हो गई1 जबकि इस घटना में कार ही घटनास्थल का सहायक अंग रही है1 पुलिस के अनुसार इस घटना में अंकित मानिकपुरी, रवि मानिकपुरी, ओम प्रकाश यादव तथा पुष्पेंद्र यादव को आरोपी बनाया गया है1 पुलिस ने इनकी कार बरामद कर ली है लेकिन आरोपियों में सिर्फ अंकित मानिकपुरी को गिरफ्तार होना बताया जा रहा है1 उसे अंकित को भी पुलिस बहुत ही सम्मान के साथ प्राइवेट वाहन में लेकर थाने और फिर न्यायालय तक पहुंची1 पुलिस का यह रवैया क्षेत्रीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है1 यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि संभवत: पुलिस ने FIR दर्ज करने की बजाय पीड़ित पक्ष पर समझौते का दबाव बनाने की ज्यादा कोशिश की1 बजाग टीआई मोहन धुर्वे के अनुसार जिस आर्टिका कार में गैंगरेग कई घटना को अंजाम दिया गया, उसका उल्लेख एफआईआर में नही है1ये पुलिस की बड़ी लापरवाही है। एक तरफ तो परिजन आरोपियों से राजीनामा करने का आरोप लगा रहे हैं, वही दूसरी ओर पुलिस आरोपियों पर क्यों मेहरबान है ये बड़ा सवाल है1