कतर में कैद 8 पूर्व नौसैनिकों ने सजा-ए-मौत के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दायर कर दी है। भारत सरकार अपने पूर्व नौसैनिकों को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है तथा इस संबंध में विधि विशेषज्ञों से राय लेकर सजा माफी का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहेगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को इस संबंध में मीडिया से चर्चा करते हुए जानकारी दी कि इसके अलावा भारत को इन सैनिकों से मुलाकात के लिए दूसरा कॉन्स्यूलर एक्सेस भी मिल गया है। भारत सरकार कतर के लगातार संपर्क में है। कतर में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश को सजा-ए-मौत दी गई है। बागची के मुताबिक- भारत को इस मामले में दूसरी बार कॉन्स्यूलर एक्सेस मिला है। भारत सरकार इस मामले में कतर की अथॉरिटीज के संपर्क में है। कतर में ‘कोर्ट ऑफ फर्स्ट इन्सटेंस’ ने यह सजा सुनाई थी।
कतर में तीन तरह की कानूनी निजाम
कतर में तीन तरह की कानूनी निजाम है। कोर्ट ऑफ फर्स्ट इन्सटेंस ने यह सजा सुनाई थी। इसे निचली अदालत कहा जा सकता है। इसके बाद द अपील कोर्ट होता है। इसे हमारे हाईकोर्ट्स की तरह देखा जा सकता है। तीसरी और सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कंसेशन है जिसे सुप्रीम कोर्ट कहा जा सकता है।बहरहाल, इसके अलावा कतर के नेशनल डे (18 दिसंबर) को यहां के अमीर कई आरोपियों की सजा माफ करते हैं।
कतर में तीन तरह की कानूनी निजाम है। कोर्ट ऑफ फर्स्ट इन्सटेंस ने यह सजा सुनाई थी। इसे निचली अदालत कहा जा सकता है। इसके बाद द अपील कोर्ट होता है। इसे हमारे हाईकोर्ट्स की तरह देखा जा सकता है। तीसरी और सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कंसेशन है जिसे सुप्रीम कोर्ट कहा जा सकता है।बहरहाल, इसके अलावा कतर के नेशनल डे (18 दिसंबर) को यहां के अमीर कई आरोपियों की सजा माफ करते हैं।