सेना में अग्नि वीर के रूप में शामिल होने वाले नौजवानों और परमानेंट सैनिकों में बहुत सारा अंतर है। सेना में नौकरी के लिए अग्निपथ योजना 2022 में लॉन्च की गई। इसके तहत आर्मी, नेवी, और एयरफोर्स में 4 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर भारती की जाती है। 4 साल में 6 माह की ट्रेनिंग भी शामिल होती है।
सेना में शामिल होने के बाद परमानेंट सैनिकों तथा अग्नि वीरों में कई तरह के अंतर है। 4 साल की सर्विस में अग्निवीर अपनी सैलरी से कोपर्स फंड में 5.2 लाख का योगदान करते हैं। उतना ही पैसा सरकार भी देती है। 4 साल बाद सेवा निधि पैकेज के रूप में अग्नि वीरों को एक मुश्त 11.71 लख रुपए मिलेंगे। इस पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। सालाना 30 छुट्टियां भी मिलेगी। मेडिकल लीव डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर प्रदान की जाती है। पेंशन, ग्रेच्युटी, कैंटीन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधाएं अग्नि वीरों को नहीं मिलती है। शहादत पर एक करोड रुपए का प्रावधान है।
- सरकार ने 2022 में अग्निपथ योजना लॉन्च की। इसके तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में चार साल के लिए नौजवानों को कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किया जाता है। चार साल में छह महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है। चार साल बाद जवानों को उनकी कार्यक्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाएगी। इसी मेरिट के आधार पर 25% अग्निवीरों को परमानेंट सर्विस में लिया जाएगा।
- इस स्कीम में ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की भर्ती होगी। यानी इनकी रैंक पर्सनल बिलो ऑफिसर रैंक यानी PBOR के तौर पर होगी। इन सैनिकों की रैंक सेना में अभी होने वाली कमीशंड ऑफिसर और नॉन-कमीशंड ऑफिसर की नियुक्ति से अलग होगी। साल में दो बार रैली के जरिए भर्ती की जाएगी। अग्निवीर बनने के लिए 17.5 साल से 21 साल का होना जरूरी है। साथ ही कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है। 10वीं पास भर्ती होने वाले अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
- वर्तमान में मेडिकल को छोड़कर हर कैडर में इस योजना के तहत भर्ती की जा रही है। इन्हें आर्मी, नेवी, वायुसेना कहीं भी तैनात किया जा सकता है। अग्निवीरों की सेवा कभी भी समाप्त की जा सकती है। चार साल के पहले सेवा नहीं छोड़ सकते, लेकिन विशेष मामलों में सक्षम अधिकारी की अनुमति से ऐसा संभव है।
सुविधाओं में कितना फर्क
- दोनों में सबसे बड़ा अंतर पेंशन का है। रिटायरमेंट के बाद परमानेंट सैनिक को हर महीने सेना की ओर से पेंशन मिलती है। वहीं चार साल तक सेवा देने के बाद अग्निवीर को कुछ नहीं मिलेगा। हां इतना जरूर होगा कि 25% अग्निवीर सेना में परमानेंट जॉब के लिए क्वालिफाइड होंगे, जिन्हें बाद में सारे बेनिफिट मिलेंगे।
-युद्ध में हताहत होने की स्थिति में, एक नियमित सैनिक के परिवार को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन मिलती है, जो ताउम्र मिलने वाली सैलरी के बराबर होती है। इस अमाउंट पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है। जबकि अग्निवीर का परिवार केवल 48 लाख रुपए की गैर-अंशदायी बीमा राशि के लिए पात्र है। परमानेंट सैनिक को प्रतिवर्ष सेवा के लिए 15 दिन की ग्रेच्युटी मिलती है और 50 लाख का बीमा होता है।
-अगर कोई परमानेंट सैनिक किसी ऑपरेशन के दौरान विकलांग हो जाता है तो उसके ग्रेजुएशन लेवल तक के बच्चों को शिक्षा भत्ता दिया जाता है। अग्निवीरों को ऐसा कोई बेनिफिट नहीं मिलता है। आर्मी में एक सैनिक की शुरुआती सैलरी 40 हजार रुपए प्रतिमाह होती है, जबकि अग्निवीरों को 30 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं।
- अगर अग्निवीर ड्यूटी के दौरान विकलांग होता है तो उसे विकलांगता के स्तर के आधार पर मुआवजा राशि और चार साल में जितनी नौकरी बची है उसके आधार पर राशि का भुगतान होता है। वहीं परमानेंट सैनिक को पात्रता के आधार पर पेंशन और कई तरह के लाभ मिलते हैं।
-सेना के शहीदों की पत्नियों या परिजनों के लिए पुनर्वास महानिदेशालय (DGR) कई योजनाएं चलाता है। उन्हें पेट्रोल पंप का आवंटन होता है। शहीद के परिजन को LPG गैस एजेंसी लेने पर भी छूट मिलती है, लेकिन अग्निवीरों को ऐसी कोई योजना का लाभ नहीं मिलता।